हमारा पूछना क्या हम वो जांबाज़-ए -मुहब्बत हैं
हमारी मौत में भी इक अदा-ए -ज़िन्दगी होगी.
जो इंसानियत की जबीं जगमगा दे
हम ऐसी 'शिफ़ा' शायरी चाहते हैं .
हमारी मौत में भी इक अदा-ए -ज़िन्दगी होगी.
जो इंसानियत की जबीं जगमगा दे
हम ऐसी 'शिफ़ा' शायरी चाहते हैं .